Kumbhalgarh Fort | कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास, कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के किलों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखना हे। विश्व की सबसे प्राचीनतम पर्वत श्रंखला में से एक अरावली में शान से खड़ा है राजसमन्द जिले का कुम्भलगढ़ किला । राजस्थान राज्य को भारत में विशेष स्थान प्राप्त है, या यू कहे की राजस्थान किलों एवं मंदिरों का राज्य है तो गलत नहीं होगा। क्योंकि यहाँ सैकड़ों हजारों की संख्या में किलो और मंदिरों का निर्माण हुवा था। आज की इस पोस्ट में हम जानेगे की कुंभलगढ़ घूमने का सबसे अच्छा समय कौनसा है? कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला की जानकारी देंगे ।
इस भव्य किले की दीवार 36 किलोमीटर लंबी है, जो भारत में सभी किलों में सबसे अधिक है, और विश्व की सबसे लम्बी चीन की दीवार के बाद कुम्भलगढ़ किले की दीवार दुसरे नंबर पर आती है और इस दीवार को अकबर सहित कई राजाओं ने तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये दीवार अभेद्य है। यह किला उदयपुर से 78 दूर समुद्र तल से 1087 मीटर ऊँचा और 30 किमी व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यशस्वी महाराणा कुम्भा की सूझबूझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है। यह राजसमंद जिले में स्थित हैं।
कुम्भलगढ़ दुर्ग का परिचय
कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास | |
निर्माता | राणा कुम्भा ( वर्तमान स्वरुप के निर्माता ) |
निर्माण | 15वीं शताब्दी, 1443 ई. से 1458 ई. के बीच |
श्रेणी | पर्वतीय दुर्ग |
वास्तुशैली | राजपूती सैन्य पहाड़ी स्थापत्य शैली |
ऊंचाई | समुद्री तल से 3,600 फीट ऊपर |
किले की दीवार | 36 किलोमीटर लम्बी और 21 फिट चौड़ी |
जिला | राजसमन्द |
राज्य | राजस्थान , भारत |
कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास – Kumbhalgarh Fort History
राजस्थान के राजसमन्द जिले में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास और कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला एवं कुंभलगढ़ किले की कहानियाँ और दंतकथाएँ तो पुरे विश्व में फैली है। किले के निर्माण को लेकर इतिहासकारों के मध्य कई मतभेद है, क्योंकि कुछ का मानना है की यह किला 6वीं शताब्दी में मौर्य राजा के शासन में बना था। किन्तु इसके साक्ष्य में कमी होने के कारण सबकी सहमति नहीं बन पाती है, और आज हम जिस कुम्भलगढ़ को देख रहे है इस किले का निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन शासक कुम्भकर्ण सिंह सिसोदिया ( राणा कुम्भा ) जी ने 15वीं शताब्दी में करवाया था।
यह दुर्ग अरावली की कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है। जिससे यह प्राकृतिक सुरक्षात्मक आधार पाकर दुश्मनों से सदैव अजेय रहा है, इसलिए इस किले को ‘अजेयगढ‘ के नाम से भी जाना जाता था। किले के शीर्ष स्थान पर विशाल भव्य महल एवं मंदिर बने हुये है । कुछ दंतकथाओं के अनुसार किले के निर्माण में राणा कुम्भा को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, और इससे राणा कुम्भा थोड़े निराश हो गए थे।
फिर एक संत ने उपाय सुझाया की अगर कोई पवित्र मन से किले के निर्माण में अपना बलिदान देगा तो किला बिना किसी समस्या के पूर्ण हो जायेगा। उसके बाद एक व्यक्ति ने अपना राष्ट्र प्रेम निभाते हुये अपना सर काटकर बलिदान दे दिया था, उसके बाद किले के निर्माण में किसी भी बाधा का सामना नहीं करना पड़ा था और किला सम्पूर्ण निर्मित हो गया था, किन्तु इस बात में कितनी सच्चाई है इसका प्रमाण किसी के पास नहीं है।
इस किले के अन्दर एक विशाल भव्य गढ़ भी बना हुआ है, जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वार व सुद्रढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में बादल महल है व कुम्भा महल सबसे ऊपर निर्मित है। राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था और इस विशाल साम्राज्य में मध्यप्रदेश के साथ-साथ राजस्थान के विशाल इलाके भी शामिल थे। लगभग 84 किले अपने दुश्मनों से मेवाड का बचाव कर रहे हैं।
इन 84 ऐतिहासिक व भव्य किलो में से राणा कुंम्भा ने 32 को स्वयं निर्माण का प्रारूप तैयार किया था। इसी किले में भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मेवाड़ के शूरमा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म भी हुआ था ।
कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला – Kumbhalgarh Fort Architecture
अरावली पर्वत श्रंखला की पहाड़ियों में बसे इस किले को राजपूत सैन्य वास्तुकला में बनाया गया है, क्योंकि उस वक्त यह किला मेवाड़ की राजधानी था और इस कारण किले को रक्षात्मक गुणों से परिपूर्ण बनाया गया था, इसलिए इस किले को मेवाड़ की आँख भी कहाँ जाता है। कुम्भलगढ़ किला मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी था, इसलिए इसके निर्माण में बहुत सी बातों का ध्यान रखा गया था ।
यह किला समुद्र तल से लगभग 3600 फिट की ऊंचाई पर स्थित है, किले में सात किलेबंद प्रवेश द्वार है जो क़िले की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। किले के चारों और करीब 36 किलोमीटर लम्बी विशाल दीवार का निर्माण किया गया है और कुंभलगढ़ की सांस्कृतिक विरासत के रूप में किले के अन्दर 360 से मंदिर बने हुये है जिनमे 300 जैन मंदिर और बाकि हिन्दू मंदिर है। समय-समय पर शासकों ने इस किले में परिवर्तन करवाया था, किन्तु किले का मूल स्वरूप सभी भी विद्यमान है।
कुम्भलगढ़ दुर्ग में देखने लायक जगहें
मेवाड़ के स्वर्णीम इतिहास की गौरवगाथा का बखान करता यह कुम्भलगढ़ किला देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केंद बिंदु है। यहाँ देखने लायक बहुत सी चीजे है जिनको देखने के लिए सैकड़ो किलोमीटर दूर से भी लोग पुरे वर्ष यहाँ आते है, कुछ मुख्य देखने लायक जगहों का जिक्र हम यहाँ कर रहे है:-
- कुम्भलगढ़ किले में पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र है किले के चारों और फैली 36 किलोमीटर लम्बी दीवार।
- कुम्भा महल और राजा का निवास बहुत आकर्षक है।
- बादल महल, लाखोला तालाब, राम पोल, आरेत पोल, हनुमान पोल और हल्ला पोल ।
- प्राचीन गणेश मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर और बहुत से हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर।
- पार्श्वनाथ मंदिर, गोलेरा मंदिर, मामदेव मंदिर, पीतल शाह मंदिर और करीब 300 जैन मंदिर।
- सूर्य मंदिर, माताजी मंदिर।
- किले में मौजूद वीरों की छतरियां, बावड़ियाँ और तालाब ।
कुम्भलगढ़ किला घूमने का सबसे सही समय – Best time to visit Kumbhalgarh
अगर आपने भी Kumbhalgarh Fort घूमने का मन बनाया है, तो आपको यहाँ सितम्बर से मार्च तक आना चाहिए। क्योंकि इस वक्त यहाँ चारों तरफ हरियाली और मौसम ठण्डा रहता है, जो आपके भ्रमण के अनुभव को अच्छा बना देगा। किन्तु आप यहाँ अप्रेल से जून तक आने का प्लान ना ही बनाये, क्योकि इस वक्त राजस्थान में गर्मी अपने चरम पर होती है। बारिश और ठण्ड का मौसम कुम्भलगढ़ किले में घूमने का समसे अच्छा समय है।
कुम्भलगढ़ दुर्ग खुलने का समय और प्रवेश शुल्क
भारतीय पर्यटक | 10 ₹ |
विदेशी पर्यटक | 100 ₹ |
कैमरा शुल्क | 25 ₹ |
कुम्भलगढ़ दुर्ग प्रात: 9 बजे से संध्या 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। |
कुम्भलगढ़ क़िले तक कैसे पहुंचे? – How to reach Kumbhalgarh Fort?
राजस्थान की प्रसिद्ध झीलों की नगरी उदयपुर से 105 किमी. की दूरी पर स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग आने के लिए आप यातायात के तीनों मार्गो से आसानी से यहाँ पहुँच सकते है। अगर आप रेल मार्ग से यहाँ आना चाहते है तो आपको किले के सबसे नजदीक फालना रेलवे जंक्शन तक आना होगा और यहाँ से आपको बस या प्राइवेट टेक्सी किले के लिए आसानी से मिल जावेगी।
हवाई यात्रा से कुम्भलगढ़ दुर्ग आने के लिए आपको सबसे नजदीकी उदयपुर शहर के हवाईअड्डे के लिए हवाई जहाज में बैठना होगा और फिर उदयपुर से किसी सरकारी या प्राइवेट बस अथवा टेक्सी से आसानी से कुम्भलगढ़ पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से आप नेशनल हाइवे 27 और स्टेट हाइवे 32 द्वारा कुम्भलगढ़ फोर्ट आसानी से पहुँच सकते है, वैसे राजस्थान के सभी हाइवे पूरे भारत की सड़को से जुड़ी है। इसलिए आप सड़क मार्ग से भारत के किसी भी कोने से यहाँ भ्रमण करने के लिए आ सकते है।
Kumbhalgarh fort Map & guide services
कुम्भलगढ़ दुर्ग से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य ( Kumbhalgarh Fort )
- Kumbhalgarh Fort की दीवार की चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि 10 घोड़े एक ही समय में उसपर दौड़ सकते हैं।
- एक मान्यता यह भी है कि महाराणा कुंभा अपने इस किले में रात में काम करने वाले मजदूरों के लिए 50 किलो घी और 100 किलो रूई का प्रयोग करते थे जिनसे बड़े बड़े लेम्प जला कर प्रकाश किया जाता था।
- भारत के प्रथम स्वतंत्रता सैनानी महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुवा था।
- कुम्भलगढ़ दुर्ग को ‘अजेयगढ’ कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है। जो चीन की दीवार के बाद विश्व कि दूसरी सबसे बडी दीवार है।
- कुम्भलगढ़ के किले के चारों ओर 13 पर्वत शिखर, 7 विशाल द्वार किले की रक्षा करते हैं और विशाल घड़ी इसे और मजबूत करती हैं। बादल महल पैलेस किले के शीर्ष पर सही है।
- उदयपुर का इतिहास में लिखा हे की महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छिपा कर पालन पोषण किया था।
- दुर्ग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर दुर्ग और उसका नाम अंकित था।
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FAQ’s About Kumbhalgarh Fort
कुंभलगढ़ का किला क्यों प्रसिद्ध है?
कुम्भलगढ़ का दुर्ग विश्व धरोहर की सूचि में अंकित है, कुम्भलगढ़ किले की दीवार विश्व में चीन की दीवार के बाद सबसे लम्बी है। भारत के महान राजाओ में से अग्रणी मेवाड़ के महाराणा प्रताप की जन्मस्थली होने के कारण कुम्भलगढ़ दुर्ग प्रसिद्ध है।
कुंभलगढ़ किला कब और किसने बनवाया था?
कुंभलगढ़ किला 15वीं शताब्दी में महाराणा कुम्भा ने बनवाया था।
कुंभलगढ़ का प्रारंभिक संस्थापक कौन है?
मेवाड़ के राणा कुम्भा ने 15वी शताब्दी में कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था, इसलिए कुम्भलगढ़ के वास्तविक संस्थापक राणा कुम्भा को माना जाता है।
राजस्थान का दूसरा सबसे ऊंचा किला कौन सा है?
राजस्थान के राजसमन्द में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान का दूसरा सबसे ऊँचा किला है, चित्तोडगढ किला सबसे ऊँचा किला माना जाता है।
कुंभलगढ़ में लाइट एंड साउंड शो कब होता है?
कुंभलगढ़ में लाइट एंड साउंड शो हर शाम को 6:45 बजे से शुरू होता है।
कुंभलगढ़ में करने योग्य प्रमुख गतिविधियाँ क्या हैं?
कुंभलगढ़ में किले का भ्रमण, वन्यजीव सफारी, ट्रेकिंग, और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना प्रमुख गतिविधियाँ हैं।
कुंभलगढ़ में कौन-कौन से ट्रेकिंग मार्ग लोकप्रिय हैं?
कुंभलगढ़ में लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्गों में कुम्भलगढ़ से रणकपुर और कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य ट्रेक शामिल हैं।