Right To Health Bill Rajasthan | राइट टू हेल्थ बिल क्या है जाने

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Right To Health Bill Rajasthan | राइट टू हेल्थ बिल राजस्थान | राजस्थान विधानसभा में ‘राइट टू हेल्थ’ बिल पास

Rajasthan Right to health bill news : बीजेपी के तमाम विरोध और हो-हल्ला के बीच राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य के अधिकार) बिल मंगलवार को पास हो गया। इसी के साथ राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां राइट टू हेल्थ बिल पारित हुआ है। सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी।

इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा। इसमें सुनवाई होगी। दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है।

इलाज से मना नहीं कर सकेंगे हॉस्पिटल


राइट टू हेल्थ का उल्लंघन करने और इलाज से मना करने पर 10 से 25 हजार तक का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना 10 हजार और इसके बाद 25 हजार तक होगा। राइट टू हेल्थ बिल की शिकायतें सुनने और अपील के लिए जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्तर पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण बनेगा। प्राधिकरण में ही शिकायतें सुनी जाएंगी। बिल के उल्लंघन से जुड़े मामले में प्राधिकरण के फैसले को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

 

Right To Health Bill Rajasthan क्या है?

राइट टू हेल्थ’ बिल में आपातकाल यानी इमरजेंसी के दौरान निजी अस्पतालों को फ्री इलाज करने के लिए बाध्य किया गया है।

  1. मरीज के पास पैसे नहीं हैं तो भी उसे इलाज के लिए इनकार नहीं किया जा सकता। निजी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी की परिभाषा और इसके दायरे को तय नहीं किया गया है। हर मरीज अपनी बीमारी को इमरजेंसी बताकर निःशुल्क इलाज लेगा तो अस्पताल वाले अपने खर्चे कैसे चलाएंगे।
  2.  राइट टू हेल्थ बिल में राज्य और जिला स्तर पर प्राइवेट अस्पतलों के महंगे इलाज और मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्राधिकरण का गठन प्रस्तावित है। निजी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि प्राधिकरण में विषय से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल करना चाहिए। जिससे वे अस्पताल की परिस्थितियों को समझते हुए तकनीकी इलाज की प्रक्रिया को समझ सकें। अगर विषय विशेषज्ञ नहीं होंगे तो प्राधिकरण में पदस्थ सदस्य निजी अस्पतालों को ब्लैकमेल करेंगे। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
  3. राइट टू हेल्थ बिल में यह भी प्रावधान है कि अगर मरीज गंभीर बीमारी से ग्रसित है और उसे इलाज के लिए किसी अन्य अस्पताल में रेफर करना है तो एम्बुलेंस की व्यवस्था करना अनिवार्य है। इस नियम पर निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि एंबुलेंस का खर्चा कौन वहन करेगा। अगर सरकार भुगतान करेगी तो इसके लिए क्या प्रावधान है, यह स्पष्ट किया जाए।
  4. राइट टू हेल्थ बिल में निजी अस्पतालों को भी सरकारी योजना के अनुसार सभी बीमारियों का इलाज निशुल्क करना है। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि सरकार अपनी वाहवाही लूटने के लिए सरकारी योजनाओं को निजी अस्पतालों पर थोप रही है। सरकार अपनी योजना को गवर्नमेंट अस्पतालों के जरिए लागू कर सकती है। इसके लिए प्राइवेट अस्पतालों को बाध्य क्यों किया जा रहा है? योजनाओं के पैकेज अस्पताल में इलाज और सुविधाओं के खर्च के मुताबिक नहीं है। ऐसे में इलाज का खर्च कैसे निकालेंगे? इससे या तो अस्पताल बंद हो जाएंगे या फिर ट्रीटमेंट की क्वालिटी पर असर पड़ेगा।
  5. दुर्घटनाओं में घायल मरीज, ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक से ग्रसित मरीजों का इलाज हर निजी अस्पताल में संभव नहीं है। ये मामले भी इमरजेंसी इलाज की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में निजी अस्पताल इन मरीजों का इलाज कैसे कर सकेंगे? इसके लिए सरकार को अलग से स्पष्ट नियम बनाने चाहिए।
  6. दुर्घटना में घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाए जाने वालों को 5 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। दूसरी तरफ अस्पताल वालों को पूरा इलाज निशुल्क करना होगा। ऐसा कैसे संभव होगा?
  7. अस्पताल खोलने से पहले 48 तरह की एनओसी लेनी पड़ती है। इसके साथ ही हर साल रिन्यूअल फीस, स्टाफ की तनख्वाह और अस्पताल के रखरखाव पर लाखों रुपए का खर्च होता है। अगर सभी मरीजों का पूरा इलाज मुफ्त में करना होगा तो अस्पताल अपना खर्चा कैसे निकालेगा। ऐसे में अगर राइट टू हेल्थ बिल को जबरन लागू किया को निजी अस्पताल बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे।

Rajasthan Right To Health Bill Overviews

नाम राइट टू हेल्थ कानून (स्वास्थ्य का अधिकार)
राज्य राजस्थान
घोषणा की गई अगस्त, 202
राइट टू हेल्थ पारित 21 मार्च 2023
घोषणा की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी द्वारा
लाभार्थी राज्य के सभी नागरिक
अधिकारिक वेबसाइट नहीं है
हेल्पलाइन नम्बर नहीं है

राइट टू हेल्थ कानून राजस्थान उद्देश्य

Right To Health Bill Rajasthan

  • राजस्थान सरकार का राइट टू हेल्थ कानून लाने का मुख्य उद्देश्य राज्य के हर एक नागरिकों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने एवं उन्हें स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी सरकार को देना है. यानि कि सरकार अब उनकी जिम्मेदारी लेगी.
  • इस कानून को लाने का सरकार का यह भी सपना है कि राज्य में जिन्हें ईलाज नहीं मिल पा रहा है. उन्हें निशुल्क ईलाज मिले, ताकि राज्य का कोई भी व्यक्ति ईलाज से वंचित न रहे.

इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने इस कानून को लाने का फैसला किया है।

राजस्थान ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ विशेषताएं

  • आपको बता दें कि इस कानून को राज्य में लागू करने से पहले ही इसकी तैयारी शुरू की जा चुकी है. जी हां राज्य सरकार ने राइट टू हेल्थ कानून की घोषणा से पहले राज्य में कुछ खास पहलें एवं योजनायें शुरू की है. जैसे कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जाँच योजना एवं मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना आदि. ये सभी योजनायें राइट टू हेल्थ कानून लाने का एक जरियां बनी थी. इस कानून को पेश करने की पूरी तैयारी कर ली गई है और इसका ड्राफ्ट भी बना लिया गया है.
  • इस कानून के तहत पूरे राज्य में जिसे भी स्वास्थ्य सुविधा की आवश्यकता है उसके पास तक ईलाज पहुँचाना राज्य सरकार का मुख्य लक्ष्य है.
  • राज्य के नागरिकों को स्वास्थ्य लाभ देने की व्यवस्था यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के द्वारा की जाएगी.
  • राजस्थान राज्य सरकार ने इस कानून को देश के संविधान के मूल अधिकारों में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से मांग भी की है, इस कानून को लागू करने से देश के हर एक नागरिक को स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा.
  • इस कानून के तहत राजस्थान में एक्सीडेंट का शिकार हुए लोगों के ट्रोमा ईलाज मुफ्त में किये जाने का प्रावधान रखा गया है. यह सुविधा अभी केवल सरकारी अस्पतालों में थी लेकिन इस कानून के आने के बाद यह सुविधा सभी प्राइवेट अस्पतालों में भी शुरू ही जाएगी. इसका भुगतान स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत हो जायेगा.

Right To Health Bill Benifits | राइट टू हेल्थ में लोगों को मिलेंगी ये सुविधाएं

  • राइट टू हेल्थ में राजस्थान के हर व्यक्ति को बीमारी का डायग्नोसिस, जांच, इलाज, भावी रिजल्ट और संभावित जटिलताओं और एक्सपेक्टेड खर्चों के बारे में अच्छी तरह जानकारी मिल सकेगी।
  • एक्ट के तहत बनाए गए रूल्स के जरिए आउट डोर पेशेंट्स (OPD), इनडोर भर्ती पेशेंट्स, डॉक्टर को दिखाना और परामर्श, दवाइयां, डायग्नोसिस, इमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन यानी एम्बुलेंस सुविधा, प्रोसीजर और सर्विसेज, इमरजेंसी ट्रीटमेंट मिलेगा।
  • मरीज को बीमारी की नेचर, कारण, वास्तविक जांच, केयर, इलाज और रिजल्ट, सम्भावित जटिलताओं और एक्सपेक्टेड खर्चों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी।
  • मरीजों को सभी पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट्स की ओर से उनके मेडिकल केयर लेवल के अनुसार फ्री ट्रीटमेंट दिया जाएगा।
  • फीस या चार्ज के एडवांस पेमेंट के बिना इमरजेंसी कंडीशन के दौरान बिना देरी किए प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जरूरी इमरजेंसी ट्रीटमेंट फैसिलिटी और इंटेंसिव केयर, इमरजेंसी डिलीवरी और ट्रीटमेंट देंगे।
  • कोई मेडिको-लीगल मामला है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइ़डर केवल पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेगा।
  • मरीज को डॉक्यूमेंट, जांच रिपोर्ट, इलाज के डिटेल और पार्टिकुलर वाइज बिलों तक पहुंच होगी।
  • सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी।
  • इलाज के दौरान सीक्रेसी, मानव गरिमा और गोपनीयता का ख्याल रखा जाएगा।
  • किसी मेल वर्कर की ओर से महिला पेशेंट के फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला की उपस्थिति जरूरी होगी।
  • उपलब्ध ऑप्शनल ट्रीटमेंट मेथड का सलेक्शन मरीज कर सकेगा।
  • हर तरह की सर्विस और फैसिलिटी की रेट और टैक्स के बारे में सूचना पाने का हक मिलेगा।
  • ट्रीटमेंट के दौरान दवा लेने और जांच के सोर्सेस का सलेक्शन किया जा सकेगा।
  • हेल्थ की कंडीशन के बारे में मरीज को एजुकेट किया जाएगा।
  • सभी गवर्नमेंट और प्राइवेट मेडिकल इंस्टीट्यूट से रेफरल ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिलेगी।
  • डॉक्टर की सलाह के खिलाफ जाकर हॉस्पिटल या ट्रीटमेंट सेंटर छोड़ने वाले मरीज के मामले में इलाज का ब्योरा प्राप्त किया जा सकेगा।
  • रोड एक्सीडेंट्स में फ्री ट्रांसपोर्टेशन, फ्री ट्रीटमेंट औरर फ्री इंश्योरेंस कवर इस्तेमाल होगा।
  • सेकेंड ओपिनियन लेने के लिए पहले से ट्रीटमेंट करने वाले हेल्थ प्रोवाइडर से ट्रीटमेंट डिटेल और इन्फॉर्मेशन लेने का अधिकार मिलेगा।
  • राजस्थान सरकार बाउंड होगी कि राइट टू हेल्थ के लिए बजट में उचित प्रोविजन करे।
  • सरकार ट्रीटमेंट क्वालिटी और सेफ्टी मेजरमेंट्स और नॉर्म्स शामिल करेगी।
  • गारंटीड सर्विसेज से कोई भी डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर इनकार नहीं किया जा सकेगा।
  • पोषण (न्यूट्रिशियन) के लिए पर्याप्त और सुरक्षित खाना देने, सेफ पीने के पानी की व्यवस्था, हाईजीन के लिए सरकारी डिपार्टमेंट्स के बीच कॉर्डिनेशन किया जाएगा।

स्टेट हेल्थ अथॉरिटी, हर जिले में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी

राजस्थान में स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी। जिसमें जॉइंट सेक्रेटरी या उससे ऊपर रैंक का आईएएस अधिकारी अध्यक्ष होगा। हेल्थ डायरेक्टर मेंबर सेक्रेटरी होंगे। जबकि मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर, राजस्थान स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के जॉइंट सीईओ, आयुर्वेद डायरेक्टर, होम्योपैथी डायरेक्टर, यूनानी डायरेक्टर सदस्य होंगे।

सरकार की ओर से नॉमिनेटेड दो लोग जिन्हें पब्लिक हेल्थ और हॉस्पिटल मैनेजमेंट की नॉलेज हो, वह मेंबर होंगे। पदेन सदस्य के अलावा सभी मेंबर्स की नियुक्ति 3 साल के लिए होगी। 6 महीने में कम से कम एक बार हेल्थ अथॉरिटी की बैठक होगी। साल में 2 बार बैठक करनी होगी।

राजस्थान के सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी भी बनाई जाएगी।

राइट टू हेल्थ बिल राजस्थान के लिए शिकायत निवारण सिस्टम डेवलप होगा

  • एक्ट शुरू होने की तारीख से 6 महीने के अंदर सरकार कम्प्लेंट रिड्रेसल सिस्टम क्रिएट करेगी।
  • वेब पोर्टल, सहायता केंद्र शिकायतों को 24 घंटे के अंदर संबंधित अधिकारी या ऑब्जर्वर को भेजेगा।
  • संबंधित अधिकारी अगले 24 घंटे के अंदर शिकायत करने वाले को जवाब देगा।
  • अगर 24 घंटे में शिकायत का सॉल्यूशन अधिकारी नहीं करता है तो वह शिकायत डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी को तुरंत फॉरवर्ड की जाएगी।
  • डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी शिकायत मिलने के 30 दिन में उचित कार्रवाई करेगी और उसकी रिपोर्ट वेब पोर्टल पर अपलोड करेगी। शिकायतकर्ता को भी सूचना दी जाएगी। शिकायतकर्ता को बुलाकर सॉल्यूशन की कोशिश भी की जाएगी।
  • डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी की ओर से 30 दिन में सॉल्यूशन नहीं होने पर शिकायत को स्टेट हेल्थ अथॉरिटी को फॉरवर्ड किया जाएगा।

 


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