Rajasthan Nirjala Ekadashi 2023 | निर्जला एकादशी व्रत का सही समय, मुहूर्त और महत्व यहां जानें

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Nirjala Ekadashi Kab Hai: निर्जला एकादशी का व्रत धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार बहुत ही महत्‍वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को करने से आपके सभी कष्‍ट दूर होते हैं और भगवान विष्‍णु सुखी और संपन्‍न रहने का आशीर्वाद देते हैं। आइए जानते हैं कब है निर्जला एकादशी और इसकी पूजाविधि।

Nirjala Ekadashi 2023

निर्जला एकादशी, हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एक पर्व है जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सम्मानित करता है। इस दिन भक्तों को अपने व्रत में पूर्ण रूप से जल त्याग करना पड़ता है, इसलिए इसे “निर्जला” एकादशी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी को विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में मान्यता प्राप्त है, जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, दिल्ली आदि। यह व्रत विशेष रूप से श्रीकृष्ण भक्तों द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिन्हें इस दिन विशेष आहार नहीं लेना होता है।

निर्जला एकादशी के दिन भक्तों को पूरे दिन निर्जला व्रत रखना पड़ता है, जिसमें निर्जला तीर्थ (शुद्ध जल) का सेवन नहीं किया जाता है। भक्त इस दिन खाने-पीने से विरत रखते हैं और पूजा, पाठ, मंत्र जाप और ध्यान करते हैं। निर्जला एकादशी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से ठीक 15 दिन पहले मनाया जाता है।

Nirjala Ekadashi 2023 | निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत उच्च मान्यता प्राप्त है। यह एकादशी व्रत में निर्जला तीर्थ (जल) का त्याग किया जाता है, जिससे इसे “निर्जला” एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को मान्यता प्राप्त कारणों के कारण निर्जला एकादशी का महत्व बहुत उच्च माना जाता है।

यहां कुछ महत्वपूर्ण कारण दिए गए हैं जो निर्जला एकादशी को महत्वपूर्ण बनाते हैं:

  1. मुक्ति की प्राप्ति: निर्जला एकादशी के व्रत में निर्जला तीर्थ का त्याग करके भक्त अपने पापों को धोने और अपने आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। इसके माध्यम से भक्तों को मुक्ति की प्राप्ति की आशा होती है।
  2. पूर्ण भक्ति: निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को अनन्य भक्ति की प्राप्ति होती है। यह एक उच्च स्तर की साधना है जो श्रद्धा, संकल्प और ध्यान के साथ किया जाता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: निर्जला एकादशी के व्रत का अनुयाय एक दिन भोजन का त्याग करता है|

निर्जला एकादशी व्रत के नियम 

निर्जला एकादशी व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है। यह व्रत निर्जला तीर्थ (जल) के त्याग के साथ मनाया जाता है, जिसका अर्थ होता है कि व्रती इस दिन पूरी तरह से भोजन और पानी का त्याग करता है। निर्जला एकादशी का व्रत दिनभर तक रखा जाता है और इस समय भक्त विशेष पूजा, पाठ, जप, ध्यान आदि में लगा रहता है।

निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है:

  1. उपवास (व्रत): निर्जला एकादशी के दिन भक्त निर्जला तीर्थ का त्याग करके विशेष व्रत रखते हैं। इसका अर्थ है कि भक्त इस दिन भोजन और पानी का सेवन नहीं करते हैं।
  2. पूजा और आराधना: व्रती निर्जला एकादशी के दिन विशेष पूजा, पाठ, मंत्र जप और ध्यान करते हैं। श्रीकृष्ण या भगवान विष्णु की पूजा और आराधना की जाती है।
  3. संकल्प: व्रती को निर्जला एकादशी के दिन उचित संकल्प लेना चाहिए|

निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त 

Nirjala Ekadashi

– एकादशी तिथि प्रारम्भ: 30 मई को दोपहर 1:32 बजे
– एकादशी तिथि समाप्त: 31 मई को दोपहर 1:36 बजे
– निर्जला एकादशी का पारण: 01 जून को सुबह 05:24 से सुबह 08:10 बजे तक

निर्जला एकादशी पर करें यह जरूरी काम

– मंदिरों में दान पुण्य करें
– इस दिन शरबत का दान, फल आदि बांटना चाहिए
– पक्षियों को दाना डालें और गाय को खाना खिलाएं
– परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें

Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी की पूजाविधि

एकादशी के दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है. इस दिन स्नान कर भगवान विष्णु को तुलसी, पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,फल और धूप-दीप,मिश्री चढ़ाएं.  इसके बाद ‘ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें. इस दिन गोदान,वस्त्रदान,छत्र,जूता,फल और जल आदि का दान करने से मनुष्य को जीवन से परेशानियां खत्म होती है. इस दिन रात्रि के समय जागरण करने की मान्यता है.  द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर और दक्षिणा देकर अन्न और जल ग्रहण करें.


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