Hindu Nav Varsh Rajasthan । हिन्दू नव वर्ष का महत्व, इतिहास, बधाई संदेश

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Hindu Nav Varsh Rajasthan 2024: नववर्ष किसी भी व्यक्ति के जीवन में आशा एवं उत्साह का नवीन प्रकाश लेकर आता है। सभी देशों एवं समुदायों में नववर्ष को बड़े उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नववर्ष का आगमन जीवन में नवीनता का सूचक होता है एवं व्यक्ति नववर्ष के मौके पर नवीन संकल्प के माध्यम से सफलता की ओर अग्रसर होने का लक्ष्य बनाता है। दुनिया के विभिन भागों में अलग-अलग तरीकों से नववर्ष का आयोजन किया जाता है।

हिन्दू नववर्ष क्या है ?

दुनिया के सभी समुदायों के द्वारा अपने स्थानीय रीति-रिवाजो एवं परम्पराओं पर आधारित नववर्ष मनाया जाता है। नववर्ष सभी समुदायों के लिए नवीनता का प्रतीक होता है एवं नए वर्ष के अवसर पर सभी लोग नवीन संकल्प लेते है। दुनिया के विभिन भागों में अलग-अलग प्रकार से नववर्ष मनाया जाता है ऐसे में सभी समुदाय अलग-अलग तिथि एवं माह में अपना नववर्ष मनाते है। ईसाई धर्म के लोग ग्रिगोरियन कैलेंडर के आधार पर 1 जनवरी को अपना नववर्ष मनाते है। इसी प्रकार चीन के लोग लूनर कैलेंडर के आधार पर, इस्लाम के अनुयायी हिजरी सम्वंत के आधार पर, पारसी नववर्ष नवरोज से, पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व से, जैन नववर्ष दीपावली के अगले दिन से मनाया जाता है।

 

Hindu Nav Varsh Rajasthan 2024

वैदिक ज्योतिष अनुसार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल से हो रही है। वहीं हिंदू नववर्ष संवत् 2081 भी इसी दिन से आरंभ हो रहा है। साथ ही नववर्ष पर 3 राजयोग बन रहे हैं। यह राजयोग शश और अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग हैं। यह योग 30 साल बाद बन रहे हैं। वहीं ज्योतिष के अनुसार हिंंदू नववर्ष के राजा ग्रहों के सेनापति मंगल हैं। वहीं इस साल मंत्री शनि देव हैं। ऐसे में शनि और मंगल देव का प्रभाव पूरे वर्ष देखने को मिलेगा।

हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है ? | Hindu Nav Varsh 2024

चैत्र का महीना सनातन धर्म के लिए बहुत खास माना जाता है. इसी महीने में चैत्र नवरात्रि आती है, जिसके साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. हिंदू नववर्ष पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत की शुरुआत सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी. इस साल चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ विक्रम संवत 2081 में प्रवेश होगा.

हिन्दू नववर्ष की विशेषताएँ

हिन्दू नववर्ष हजारों वर्षो से हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण दिनों में शामिल रहा है। हिन्दू धर्म में नववर्ष को नवीनता का प्रतीक माना गया है एवं इस अवसर पर पूजा-पाठ एवं विभिन प्रकार के शुभ कार्यो को करने की परंपरा रही है। हिन्दू नववर्ष को विक्रम संवत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है

वैज्ञानिक पद्धति से तैयार किया गया विक्रम संवत कैलेंडर पूर्ण रूप से वैज्ञानिक गणना पर आधारित है जहाँ नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में मनाया जाता है। चैत्र माह में प्रकृति में चारों ओर उत्साह एवं सौंदर्य प्रदर्शित होता है एवं बसंत ऋतु का आगमन होता है। हिन्दू नववर्ष के अवसर पर सम्पूर्ण प्रकृति ही नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार प्रतीत होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी हिन्दू नववर्ष को अत्यंत पवित्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिन्दू नववर्ष, क्या है इतिहास

हिन्दू नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिवस हिन्दू समुदाय में नवीन उत्साह का संचार करता है एवं नवीन वर्ष के अवसर विभिन प्रकार के नए संकल्प लिए जाते है। हिन्दू नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाने के पीछे ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, प्राकृतिक एवं नैसर्गिक कारण कारण छिपे हुए है। यहाँ आपको इस सम्बन्ध में सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है :-

  • ऐतिहासिक कारण- हिन्दू नववर्ष को विक्रम सम्वत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है। इस कैलेंडर की शुरुआत भारत के महान सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा शकों को पराजित करने एवं राज्याभिषेक के अवसर पर 58 ई.पू. में की गयी थी। प्रतिवर्ष विक्रम सम्वत के आधार पर हिन्दू नववर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।
  • पौराणिक कारण- हिन्दू नववर्ष के प्रारम्भ होने के पौराणिक कारणों में विभिन तथ्यों को माना जाता है जिनमे में कुछ कारण निम्न है :-
    • माना जाता है की इस दिन प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था।
    • इस दिवस के अवसर पर ही प्रभु राम द्वारा बाली का वध किया गया था।
    • धर्मराज युधिष्ठर का राज्याभिषेक दिवस भी हिन्दू नववर्ष के दिन माना जाता है।
    • लंकापति रावण के विजय के अवसर पर इस दिवस अयोध्यावासियों ने अपने घरो पर भगवान राम के सम्मान में विजय पताका फहराई थी।
    • नवरात्र की शुरुआत भी नववर्ष से मानी जाती है।
  • आध्यात्मिक कारण- हिन्दू नववर्ष के अवसर पर जीवन में नवीनता एवं उत्साह की शुरुआत मानी जाती है। भारतीय अध्यात्म में नवीनता एवं बदलाव को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना गया है ऐसे में नववर्ष को जीवन में नवीन शुरुआत के आरम्भ के रूप में भी माना जाता है।
  • प्राकृतिक कारण- हिन्दू नववर्ष हमारे देश में बसंत ऋतु के आगमन का अवसर होता है ऐसे में प्रकृति में चारों ओर हरियाली छायी रहती है। शरद ऋतु के पतझड़ के बाद वृक्षों पर नयी कोपलें जीवन की नवीनता का संदेश देती है। चारों ओर नए फूल, फल एवं पत्तियाँ मानों नए साल के स्वागत का संदेश लेकर आयी हुयी प्रतीत होती है।
  • ब्रह्मांड निर्माण का दिवस- पौराणिक ग्रंथों के अनुसार नववर्ष के अवसर पर ही ब्रह्मा जी ने इस ब्रह्मांड का निर्माण किया था। यही कारण है की इस दिवस को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।
  • सृष्टि निर्माण का दिवस- ब्रह्मा जी द्वारा ब्रह्मांड निर्माण के कुछ समय पश्चात ही इस सुन्दर सृष्टि की रचना की गयी थी। यही कारण है की सृष्टि निर्माण के अवसर को भी नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

हिन्दू नव वर्ष का महत्व

हिन्दू नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा मनाते है इसके पिछले कई ऐतिहासिक महत्व है। यह त्योहार पौराणिक दिन से जुड़ा हुआ है इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसमें मुख्यतया ब्रह्माजी और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के प्रमुख देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है। इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है। अत इस तिथि को ‘नवसंवत्सर‘ भी कहते हैं।

हिन्दू नव वर्ष मनाने के कई ऐतिहासिक महत्व है जिनकों हम निम्नलिखित कारणों से जान सकते है, जो इस प्रकार हैं-

  • इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
  • सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
  • प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
  • शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
  • राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
  • युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।

कैसे मनाये हिन्दू नववर्ष

  • हिन्दू नववर्ष के अवसर पर जीवन में सफलता हेतु नवीन संकल्प लें।
  • इस दिवस पर घरों में पूजा एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना पवित्र माना जाता है।
  • हिन्दू नववर्ष पर अपने रिश्तेदारों एवं परिचितों को शुभकामना संदेश भेजें।
  • घरों एवं पूजास्थल पर रंगोली एवं ऐपण बनायें।
  • घरों में पूजा के पश्चात छत पर पताका एवं धवजारोहण करें।
  • विभिन सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता करें।
  • विभिन प्रतियोगिताओं में भाग लेकर सांस्कृतिक महोत्सव को आगे बढ़ायें।
  • इस दिवस पर चिकित्सालय, रक्तदान, गौसेवा एवं अन्य निःसहाय लोगों की सेवा का संकल्प ले।
  • इस दिवस के अवसर पर अपने जीवन को बेहतर बनाने एवं समाज में योगदान देने हेतु नवीन आदतों को अपनाने का संकल्प ले।

हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 2081 – हिन्दू नव वर्ष बधाई सन्देश – Hindu Nav Varsh and Sms Wishes in Hindi with Images

Hindu Nav Varsh Wishes in Hindi

Hindu Nav Varsh Rajasthan

चारो तरफ हो खुशियां ही खुशियां मीठी पूरनपोली और गुजियां ही गुजियां द्वारे सजती सुंदर रंगोली की सौगात आसमान में हर तरफ पतंगों की बरात सभी को शुभ को नव वर्ष हर बार शुभ हिन्दू नव वर्ष शुभ करी हो

“आप सभी के जीवन में यह नव वर्ष ढेरो खुशियाँ लेके आये, आपको वो सब मिले जिसकी चाहत हैं आपको….।” .  – 2024 हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

Hindu Nav Varsh ki Hardik Shubhkamnaye in Hindi

मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
नयी उमंगें नयी तरंगें
नयी चुनौतियां नयी ख्वाहिशें
नयी राहें नयी मंज़िलें
नयी उर्ज़ा लेकर आया नया साल
जिसमें आपको मिले तमाम
नयी कामयाबियां
और नयी खुशियां
आप सभी को हिन्दू नववर्ष की ढेर सारी
हार्दिक बधाई अभिनंदन शुभकामनाएं.

नव वर्ष की पहली सुबह आपकी जिंदगी में नई खुशियां लेकर आए
आपके सारे सपने पूरे हो आप हमेशा खुश रहे
आप जो चाहे वह आपको मिले इसी आशा के साथ आपको
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

 


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